मिड डे मील योजना क्या है? उद्देश्य, गुण एवं दोष Mid Day Meal Yojana Hindi

Last Updated on: 14th November 2022, 11:12 am

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देश की आजादी को 75 साल होने के बाद भी हमारे देश में गरीबी और भुखमरी जैसी विकट समस्या आज भी है, हमारे देश में अनेक परिवार अपना भरण पोषण करने के लिए कड़ी मेहनत मशक्कत करते हैं इन परिवारों के बच्चे बड़ी मुश्किल से स्कूल जाने में सक्षम हो पाते हैं। कई परिवारों में तो बच्चे अपनी पढ़ाई को छोड़कर परिवार का खर्च उठाने के लिए काम करने लग जाते हैं।

कुछ परिवार जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं उनके लिए अच्छा खाना और पढ़ाई के लिए किताबों का खर्च समस्या बन गई है, इस तरह के बच्चों को लिए भारत सरकार द्वारा सर्व शिक्षा अभियान और मिड डे मील योजना Mid Day Meal Yojana लागू की गई है जिससे इन बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य मिल सके जिससे हमारा देश शिक्षित और बेहतर स्वास्थ्य वाला हो।

Mid Day Meal Yojana क्या है?

मिड डे मील योजना भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली बहुत ही महत्वपूर्ण योजना है इस योजना की शुरुआत 15 अगस्त 1995 में की गई, इस योजना को पोस्टिक आहार सहायता का राष्ट्रीय कार्यक्रम भी कहते हैं, इस योजना का प्रमुख उद्देश्य यह था कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को उचित शिक्षा के साथ-साथ पोषण युक्त भोजन मिल सके साथ ही में उन माता-पिता को भी प्रेरित करना था जो अपने बच्चों को स्कूल ना भेजकर भोजन के लिए कार्य करवाते थे। वर्ष 2003 में इस स्कीम में कक्षा 6 से 8 के बच्चों को शामिल किया गया।

Mid Day Meal Yojana के माध्यम से सरकारी स्कूल के साथ-साथ सरकारी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल,मदरसों, अन्य शिक्षा केंद्रों मैं भी दोपहर का भोजन मिलने लगा जिससे विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ गई और जो बच्चे दोपहर मैं भूख लगने के कारण विद्यालय नहीं आते या समय से पहले भाग जाते वह भी अब उपस्थित रहने लगे।

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योजना का नाममिड डे मील योजना 
आरम्भ की गईकेंद्र सरकार द्वारा
वर्ष2022
लाभार्थीप्राइमरी श्रेणी के छात्र
लाभबच्चों के लिए
श्रेणीकेंद्र सरकारी योजनाएं
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मिड डे मील योजना के उद्देश्य

  • Mid Day Meal Yojana का प्रमुख उद्देश्य बच्चों को उचित शिक्षा के साथ-साथ अच्छा स्वास्थ्य तथा बेहतर विकास देना।
  • गरीब परिवार के बच्चों को नियमित स्कूल आने के लिए प्रेरित करना
  • Mid Day Meal Yojanaका प्रमुख तत्कालीन उद्देश्य सूखा प्रभावित क्षेत्र के बच्चों को शिक्षा के साथ खाना देना।
  • मिड डे मील योजना के कारण गरीब परिवार को बहुत फायदा मिला जैसे कि-
  • इस योजना के कारण विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ने लगी
  • योजना के कारण बहुत से गरीब माता-पिता अपने बच्चों को विद्यालय भेजने लगे।
  • इस योजना के कारण सामाजिक एकता बढ़ीं तथा सांप्रदायिक भिन्नता कम हुई।
  • किसी योजना के कारण बच्चों में अच्छी आदत और अच्छी सोच का विकास हुआ
  • मिड डे मील योजना की हमारे देश की साक्षरता दर को बढ़ाने में अहम भूमिका है।

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Mid Day Meal Yojana का बजट क्या है?

मिड डे मील योजना समवर्ती सूची का विषय है इसमें केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा भी खर्च को साझा किया जाता है, इस योजना में आने वाले खर्च को राज्य और केंद्र में 40 अनुपात 60 में बांट दिया जाता है।

मिड डे मील के लिए केंद्र सरकार द्वारा अनाज और वित्तीय पोषण दिया जाता है जबकि राज्य सरकारों द्वारा परिवहन एवं श्रम की लागत का व्यय किया जाता है।

Mid Day Meal Yojana के तहत प्रतिदिन एक बच्चे का खर्च लगभग 6 से ₹10 होता है जिसका वहन राज्य और केंद्र सरकार मिलकर करती है।

Mid Day Meal Yojana में खाना बनाने का काम करने वाले का वेतन राज्य सरकार द्वारा दिया जाता है और राज्य सरकार ही उसका वेतन तय करती है जोकि 1000 से 20000 के मध्य कुछ भी हो सकता है।

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मध्यान्ह भोजन योजना की गाइडलाइंस

  • Mid Day Meal Yojana जिन विद्यालयों में चलाया जाता है उनके लिए सरकार द्वारा एक गाइडलाइन तैयार की गई है जिसका पालन सभी विद्यालयों को करना होता है।
  • जिन भी विद्यालयों में मिड डे मील का खाना बनाया जाता है वह एक निश्चित स्थान यानी रसोई में बनाना होगा कोई भी विद्यालय बाहर खुले में खाना नहीं बना सकता।
  • विद्यालय में बना रसोईघर क्लासरूम से अलग एवं थोड़ी दूरी पर होना चाहिए जिससे बच्चों को कोई परेशानी ना हो।
  • विद्यालय में खाना पकाने में यूज़ होने वाली ईंधन सामग्री को सुरक्षित स्थान पर रखना तथा खाद्य सामग्री को साफ सुथरी जगह स्टोर किया जाना अनिवार्य है।
  • मिड डे मील का भोजन बनाने में प्रयुक्त चीजों की क्वालिटी बेस्ट होनी चाहिए तथा पेस्टिसाइड वाले अनाज का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
  • खाना बनाने के लिए केवल ब्रांडेड वस्तुएं या एगमार्ग गुणवत्ता वाली वस्तुएं इस्तेमाल में ली जानी चाहिए
  • खाना बनाने से पहले दाल चावल तथा सब्जी को अच्छी तरह से धोने का नियम है
  • मिड डे मील योजना की गाइड लाइन के अनुसार जिन व्यक्तियों द्वारा भी खाना बनाया जाता है उनको अपनी सफाई का पूरा ध्यान रखना होगा खाना बनाने से पहले हाथों को धोना नाखून कटे हो ना आदि बातों का ध्यान रखना होता है।
  • खाना तैयार होने के बाद भोजन का स्वाद दो या तीन लोगों को टेस्ट कराना होता है इनमें से एक टीचर होना चाहिए।
  • बच्चों को दिए जाने वाले खाने के नमूनों को समय-समय पर टेस्ट के लिए प्रयोगशाला में ले जाया जाता है।
  • गाइडलाइन के अनुसार बच्चों के खाना खा लेने के बाद स्माल हुए बर्तनों को साफ करके उन्हें साफ सुथरी जगह पर रखना।
  • इन गाइडलाइंस का यदि किसी विद्यालय में उल्लंघन होता है तो विद्यालय के प्रमुख या मिड डे मील योजना के हेड पर कार्यवाही की जा सकती है।

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मिड डे मील का मैन्यू 

  • Mid Day Meal Yojana का मकसद केवल बच्चों का पेट भरना नहीं होता है, बल्कि बच्चों का पेट भरने के साथ-साथ बच्चों को पोषण भरा खाना देना होता है जिससे उनका अच्छा विकास हो यही कारण है कि सरकार द्वारा गाइडलाइन तैयार की गई है कि बच्चों को किस तरह खाना दिया जाना चाहिए।
  • सरकार द्वारा तैयार गाइडलाइन के अनुसार कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में 12 ग्राम प्रोटीन तथा 450 कैलोरी तक होनी चाहिए। तथा कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों के भोजन में कैलोरी की मात्रा 700 तक तथा प्रोटीन 20 ग्राम की मात्रा में होना चाहिए।
  • कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कैबिनेट में बैठक में यह फैसला लिया गया जिसके अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है कि योजना के लाभार्थी बच्चों को पोषण युक्त चावल दिए जाएंगे यानी कि अभी तक बच्चों को साधारण चावल दिए जाते हैं लेकिन अब से बच्चों को चावल में पोषक तत्व मिलाकर दिया जाएगा इस योजना के तहत 2024 तक सभी बच्चों को पोषक तत्वों से भरा चावल मिलने लगेगा।
  • राज्य स्तर पर Mid Day Meal Yojana को राज्य तथा केंद्र सरकार मिलकर चलाती है इसीलिए इस योजना के भोजन में राज्य सरकार कुछ अन्य खाने की चीजें शामिल कर सकती है, क्योंकि इसी योजना के दौरान दिए जाने वाला भोजन में दूध,खीर या दलिया जैसे तत्व शामिल नहीं किया गए हैं यदि कोई राज्य सरकार अपने बच्चों को पोषण के लिए यदि दूध या फल उपलब्ध कराना चाहते हैं तो राज्य सरकार ऐसा कर सकती है।
  • जैसे राजस्थान सरकार द्वारा विद्यालयों में दूध तथा फल उपलब्ध करवाए गए और गुजरात कर्नाटक पांडिचेरी मध्यप्रदेश केरल तथा उत्तर प्रदेश में भी बच्चों को दूध या फल फ्रूट या दलिया को मिड डे मील में जोड़ा गया है।

Mid Day Meal Yojana की कमियां

भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित Mid Day Meal Yojana एक बहुत ही प्रशंसनीय योजना है लेकिन इस योजना से जुड़ी की खबरें हमारे सामने आती है जो सरकार के सभी दावों को गलत बताती है, इस स्कीम को अच्छे ढंग से चलाने के लिए सरकार द्वारा जो पैसे दिए जाते हैं उनका भी घोटाला कभी कभी सामने आता है और इसका नुकसान केवल बच्चों को नहीं बल्कि सरकार को भी काफी होता है।

पिछले कुछ सालों में देखा गया है कि Mid Day Meal Yojana के तहत मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता में कमी होने के कारण कई बार बच्चों की तबीयत भी खराब हो जाती है जिसके जिम्मेदार विद्यालयों के प्रमुख तथा मिड डे मील के संरक्षक होते हैं जिन पर सरकार द्वारा कार्यवाही भी की जाती है।

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